दिल्ली में हाल ही में हुए एक घटनाक्रम में ऊर्जा मंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर बिजली सब्सिडी से जुड़ी फाइल को रोके रखने का आरोप लगाया है. आतिशी ने दावा किया कि दिल्ली में 46 लाख से अधिक परिवारों को कल से बिजली सब्सिडी नहीं मिलेगी, क्योंकि उनके बार-बार मिलने के अनुरोध के बावजूद एलजी ने फाइल वापस नहीं की है. उन्होंने यह भी कहा कि बिजली सब्सिडी का बजट विधानसभा ने पारित कर दिया है और सरकार के पास इसके लिए पैसा है, लेकिन वे इसे फाइल के बिना खर्च नहीं कर सकते।
हालांकि एलजी ऑफिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें बेबुनियाद बताया है. उन्होंने ऊर्जा मंत्री को अनावश्यक राजनीति से बचने और झूठे बयानों से लोगों को गुमराह करना बंद करने की सलाह दी है। उपराज्यपाल कार्यालय ने यह भी सवाल किया कि फैसले को 4 अप्रैल तक लंबित क्यों रखा गया जबकि समय सीमा 15 अप्रैल थी और एलजी को फाइल 11 अप्रैल को ही क्यों भेजी गई।
दूसरी ओर, आतिशी ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर दिल्ली के लोगों को बिजली सब्सिडी देने के अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाया। सरकार 200 यूनिट की मासिक खपत वाले उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली प्रदान करती है और 201 से 400 यूनिट प्रति माह की खपत करने वालों को 50% सब्सिडी देती है। वकीलों, किसानों और 1984 के दंगों के पीड़ितों को भी सब्सिडी दी जाती है। आतिशी ने कहा कि कल से सभी तरह की बिजली सब्सिडी बंद हो जाएगी और जिन उपभोक्ताओं को जीरो बिल मिलते थे उनके बढ़े हुए बिल आने शुरू हो जाएंगे, वहीं जिन उपभोक्ताओं को 50% की छूट मिलती थी उनके बिल में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
बिजली सब्सिडी को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी कार्यालय के बीच चल रहे विवाद ने दिल्ली के लोगों में भ्रम और चिंता पैदा कर दी है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या इस मुद्दे को जल्द ही सुलझाया जाएगा और क्या सब्सिडी बहाल की जाएगी।
एलजी कार्यालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार को 11 अप्रैल तक इंतजार करने के बजाय 15 अप्रैल की समय सीमा से पहले एलजी कार्यालय को फाइल भेज देनी चाहिए थी। एलजी कार्यालय ने सरकार पर 13 अप्रैल को एक पत्र लिखकर और तुरंत बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके नाटक करने का आरोप लगाया।
आतिशी मार्लेना ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिजली सब्सिडी के महत्व और दिल्ली के लोगों पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। केजरीवाल सरकार प्रति माह 200 यूनिट तक की खपत करने वाले परिवारों को मुफ्त बिजली प्रदान करती है, और 201 से 400 यूनिट प्रति माह की खपत करने वाले परिवारों को 50% सब्सिडी प्रदान करती है। वकीलों, किसानों और 1984 के दंगों के पीड़ितों को भी सब्सिडी दी जाती है।
बिजली सब्सिडी की अचानक वापसी दिल्ली के लोगों के लिए एक बड़ा झटका है, जो अपने मासिक खर्चों के लिए इस सहायता पर निर्भर हैं। इस बिंदु पर यह स्पष्ट नहीं है कि फाइल वापस क्यों नहीं की गई और उपराज्यपाल ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए बैठक की अनुमति क्यों नहीं दी। हालांकि इतना तय है कि इस फैसले का खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ेगा।
केजरीवाल सरकार को अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस मुद्दे का समाधान खोजना चाहिए। उन्हें एलजी और अन्य अधिकारियों के साथ काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिल्ली के लोगों पर और कठिनाई से बचने के लिए बिजली सब्सिडी जल्द से जल्द बहाल की जाए।